लेखनी कहानी -02-Jul-2023... एक दूजे के वास्ते... (5)
रश्मि ने रोहित को ऐसे देखा तो उसने अपनी नजरें झुका ली और जल्दी जल्दी अपना समोसा खाने लगीं, और फटाफट से अपनी चेयर से उठ गई।
फिर अलका कि ओर देख कर बोली :- अलका जल्दी कर मुझे घर जाना है.....घर जाकर मम्मी- पापा के लिए खाना बनाना है। तु चल रही है ना मेरे साथ.....।
हां मेरी जान चल रही हुं। तेरा इस जन्म में तो ........मुझसे पीछा नहीं छुटेगा।
अलका ने राहुल की तरफ देखते हुए पूछा.. राहुल तुम भी चल रहे हो ना साथ में......?
नहीं......तुम दोनों जाओ.....। मेरा अभी एक लेक्चर है।
ओके... बाय.......अलका और रश्मि ने राहुल को बोला।
रश्मि तेज़ कदमों से बाहर आने लगी तो अलका ने कहा :- अरे धीरे चल यार......इतनी भी क्या जल्दी हैं.....। कोई भूत देख लिया क्या...।
रश्मि रोहित के पास से गुजरते हुए उसको टेढ़ी नजरों से देखते हुए बोलीं :- ऐसा ही समझ.... भूत ही हैं... उसकी तरह ही पीछे पड़ा हुआ हैं...।
रोहित रश्मि की बात सुन मुस्कुराने लगा...।
क्या बोल रहीं हैं यार.... कौन पीछे पड़ा हैं...!!
कुछ नहीं... तु बस चल यार....।
(रश्मि और अलका का घर एक दूसरे के पास ही था.... इसलिए वो अक्सर साथ ही कोलेज आती जाती थी। राहुल का घर भी रास्ते में ही आता था। बचपन से ही तीनों साथ में खेल कर, पढ़ कर बढ़े हुए थे। रश्मि और अलका की एक दुसरे में जान बसती थी। दोनों एक दुसरे से हर बात शेयर करतीं थीं.......रश्मि की जिंदगी का हर पहलू अलका अच्छे से जानती थी। आखिर क्यूँ रश्मि अपने ही घर में अकेलापन महसूस करती थी, क्युं उसके भाई बहन उससे सीधे मुंह बात नहीं करते थे, क्युं उसके मम्मी पापा उससे सिर्फ पैसों के लिए ही बात करते थे। ये सब जानने के बाद भी अलका किसी को कुछ नहीं बोलतीं थी क्योंकि रश्मि ने उसे अपनी कसम दी हुई थी, कि वो ना किसी को कुछ कभी भी बताएगी और ना मेरे परिवार वालों को कुछ बोलेगी......अलका उसके लिए कुछ भी कर सकतीं थी। उन दोनों की दोस्ती की मिसाल लोग भी देते थे। )
कोलेज से बाहर आतें ही अलका ने रिक्शा रोकी और दोनों उसमें बैठ गई।
भईया.. नारायण सर्कल.....।अलका रिक्शा वाले को बोली।
दोनों सर्कल पर उतरी और रिक्शा वाले को पैसे देकर वहाँ से पैदल घर की ओर चल दी। सर्कल से उनका घर नजदीक ही था। पहले अलका का घर आता था। थोड़ी दूरी पर सामने की साईड रश्मि का घर आता था। अलका अपने घर के बाहर आई और रश्मि को गले लगा कर बोली... शाम को आ रही है ना??
रश्मि ने हां में सर हिलाया और अपने घर आ गई।
घर पहुंचते ही वो सीधे अपनी मम्मी के कमरे में आई ओर उनसे पुछा:- मम्मी आपने और पापा ने नाश्ता खाया?? आप दोनों ने दवाई ले ली समय पर......!
उसकी माँ ने हां में सर हिलाया.....।
थैंक्यु मम्मी.....। रश्मि ने मुस्कुराते हुए कहा।
मम्मी अभी मैं जल्दी से आपके लिए खाना भी बना लेती हूँ।
इतना कहकर वो किचन में चलीं गई।
उसने जल्दी से खाना बनाया और किचन भी साफ करने लगी।
खाना बनाकर उसने जल्दी से मम्मी और पापा की थाली सर्व की और उनके कमरे में जाने लगी।।
वो दरवाजे तक पहुँचीं ही थी कि रुक गई.।
उसकी माँ किसी से फोन पर बात कर रहीं थी......। रश्मि के कानों में उनकी बातें पहुँचीं तो उसकी आँखों में आंसू भर आए।
वो कुछ पल रूकी फिर हिम्मत करके अन्दर चलीं गई और मुस्कुराते हुए बोली... गरमा गरम खाना तैयार है। मम्मी जल्दी से आ जाईये.....।
उसके पापा ने चीख कर कहा :- दिख नही रहा वो तेरी बहन से बात कर रहीं हैं तु जा यहा से हम खुद खा लेंगे.....।
रश्मि ने कहा :- पापा मुझे भी फोन दिजिए ना मैं भी दी से बात करूँ......।
कोई जरूरत नहीं है.....। अभी हम जिन्दा हैं उसके लिए.....। हमारे मरने के बाद कर लेना अपनी मर्जी की.....। जब तक हम हैं ......उसे तेरी कोई जरूरत नहीं है.....। अभी जा यहाँ से.....।
रश्मि बाहर जाने के लिए पलटी तो उसके पापा ने आवाज लगाई.. :- सुन.....।
रश्मि खुशी से पलटी उसे लगा वो दी से बात करवाने के लिए भुला रहे हैं।।
"जी पापा" रश्मि ने कहा।।
चार दिन ऊपर हो गए है ......अभी तक तुने ट्युशन क्लासेस की फीस क्यूँ नहीं दी है.....उसके पापा ने कहा....।
पापा अभी तक किसी पेरेन्ट्स ने दिए नहीं है .....मैं कल ही सबसे फिर से मांगती हूँ।
ठीक है......कल याद से सबसे ले लेना.....अभी जा.....।
रश्मि हां में सर हिलाकर वहां से चलीं गई।
वो फिर से किचन में गई और वहाँ कि सफाई करके अपने कमरे में जाकर रोने लगी।
जो कुछ भी हुआ है उसमें मेरी क्या गलती थी बाबा जी..... । क्युं सब मेरे साथ ऐसा बर्ताव करते हैं.....रश्मि रोते रोते बोलने लगी।
काफी देर तक ऐसे ही रोती रही। कुछ देर बाद उसके फोन की रिंग बजी....।
उसने देखा तो अलका का नाम था....। उसने अपने आंसू पोंछे और फोन उठाया....।
हैलो......रश्मि
तु ठीक तो है ना....!
हां ठीक हूँ। क्यूँ ऐसा पुछ रहीं हैं। क्या हुआ....?
अच्छा तो अब तु मुझसे भी झूठ बोलने लगी है....। कितना भी छुपा ले रश्मि तु अच्छे से जानती है, मुझे तेरी आह से भी पता चल जाता है.....। क्या हुआ फिर से कुछ कहा क्या अंकल आंटी ने.......?
रश्मि इतना सुन कर ही फिर से रोने लगी।
मै हूँ ना तेरे साथ प्लीज तू रो मत.....।
अच्छा अब ये तो बता तू कोच सर को कैसे जानती है.....!अलका ने बात पलटने के लिए पूछा।
कोच सर के बारे में सुनकर ही रश्मि फिर से सोच में पड़ गई....।
अलका ने फिर से बोला:- हैलो रश्मि तु सुन रहीं हैं ना......।
रश्मि ने हड़बड़ाते हुए बोला :- हां.....हां सुन रहीं हूँ......मैं तुझसे शाम को मिलती हूँ फिर बताती हूँ।
ठीक है......लेकिन अभी तु रोएगी नहीं ओर प्लीज खाना खा ले.......मुझे पता है तुने अभी तक कुछ खाया नही होगा।
हां खाती हूँ। तु भी खा लेना क्योंकी मुझे भी पता जब तक मुझे फोन करके पूछ नहीं लेती तब तक तू भी नहीं खाती.....। शाम को मिलती हूँ। बाय।
बाय ........मेरी जान...।
इतना कहकर अलका ने फोन रख दिया।
फोन रखकर रश्मि मन ही मन बोलीं..... मैं भी खामखा..... परेशान होतीं हूँ.... जब अलका जैसी दोस्त मेरे साथ हैं तो मुझे.... किसी ओर की क्या जरूरत हैं....। कितना सोचती हैं मेरे लिए....। पता नहीं क्या कनेक्शन हैं हमारे बीच.... जब भी उदास होतीं हूँ... उसे पता नहीं कैसे पता चल जाता हैं....।
दोनों की दोस्ती आगे क्या रंग लाएगी..!
जानते हैं अगले भाग में....।
# कहानीकार प्रतियोगिता.........................
Babita patel
16-Aug-2023 10:36 AM
Nice part
Reply
Diya Jethwani
13-Jul-2023 09:26 AM
धन्यवाद आप सभी का.... ऐसे ही साथ बनाएं रखें जी... 🙏
Reply
Sushi saxena
12-Jul-2023 11:12 PM
Nice 👍🏼
Reply